Zakir

Lyrics

शामें-सुबह मिलते नहीं
 ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
 शामें-सुबह मिलते नहीं
 ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
 सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
 शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
 ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
 आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
 ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
 आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
 सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
 शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
 ♪
 शामें-सुबह
 ♪
 मिलना ज़रा
 ♪
 चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
 उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
 चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
 उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
 सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
 शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
 शामें-सुबह मिलते नहीं
 ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
 ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
 आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
 
 शामें-सुबह मिलते नहीं
 ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
 शामें-सुबह मिलते नहीं
 ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
 सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
 शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
 ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
 आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
 ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
 आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
 सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
 शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
 ♪
 शामें-सुबह
 ♪
 मिलना ज़रा
 ♪
 चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
 उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
 चली ना जाएँ घड़ी इस दौर की
 उनसे छुपी है जो हमसे नहीं
 सुबह पूछे, "रात-शामें क्या हसीं?"
 शामें पूछे, "रात-सुबह क्या नयी?"
 शामें-सुबह मिलते नहीं
 ख़ालिद हैं पर दिलचस्प भी
 ज़ाकिर करे वो ज़ाहिर नहीं
 आक़िल हूँ मैं आसिम नहीं
 

Audio Features

Song Details

Duration
03:41
Key
7
Tempo
144 BPM

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