Khumaar

Lyrics

सिल्वटों पे लिखी
 करवटें एक हज़ार
 
 धीमी आँच पे जैसे
 घुलता रहे मल्हार
 मूँदी आँखों में महका सा
 ♪
 बीती रात का ये ख़ुमार
 ♪
 मूँदी आँखों में महका...
 ♪
 धीमी आँच पे जैसे
 मूँदी आँखों में महका...
 
 बीती रात का ख़ुमार
 ♪
 कैसे काटूँ बैरी दोपहरी?
 आवे ना रैना
 ♪
 कैसे मैं काटूँ रे?
 दोपहरी, बैरी
 
 कैसे मैं काटूँ रे?
 
 मोसे ना बोले रे हरजाई
 पल चिन-गिन-गिन हारूँ रे
 हसरतों ने किया
 रुख़सतों से क़रार
 
 थामे आँचल तेरा
 करती है इंतज़ार
 ♪
 कैसे काटूँ बैरी दोपहरी?
 आवे ना रैना
 ♪
 कैसे मैं काटूँ रे दोपहरी? बैरी
 कैसे मैं काटूँ रे...
 मोसे ना बोले रे हरजाई
 पल चिन-गिन-गिन हारूँ रे
 मुद्दतों सा चले
 हर इक लम्हा
 
 आहटों ने किया है
 जीना भी दुश्वार
 
 मूँदी आँखों में महका सा
 बीती रात का ये ख़ुमार
 ♪
 मूँदी आँखों में महका...
 

Audio Features

Song Details

Duration
06:42
Key
4
Tempo
80 BPM

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