Sheher Me

Lyrics

दिन से मुश्किल रातें हैं शहर में
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 दिन से मुश्किल रातें हैं शहर में
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 और पढ़कर एक, दो, चार मोटी किताबें
 पढ़कर एक, दो, चार मोटी किताबें
 क्यूँ सब ज्ञानी हो जाते हैं शहर में?
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 ये ३६५ दिन, ये २४ घंटे
 ३६५ दिन, ये २४ घंटे
 ये भी कम पड़ जाते हैं शहर में
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 ये आसमान भी डर-डर के कहता है
 ये आसमान भी डर-डर के कहता है
 तारे चोरी हो जाते हैं शहर में
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 शहरों की हवा मत लगने देना बाबू
 शहरों की हवा मत लगने देना बाबू
 हर महीने तूफ़ान आते हैं शहर में
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 दिन से मुश्किल रातें हैं शहर में
 फिर क्यूँ सब गाँव से आते हैं शहर में?
 

Audio Features

Song Details

Duration
02:54
Key
1
Tempo
135 BPM

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