Banjaara

Lyrics

जिसे ज़िंदगी ढूँढ रही है
 क्या ये वो मक़ाम मेरा है?
 यहाँ चैन से बस रुक जाऊँ
 क्यूँ दिल ये मुझे कहता है?
 जज़्बात नए से मिले हैं
 जाने क्या असर ये हुआ है
 इक आस मिली फिर मुझको
 जो क़ुबूल किसी ने किया है
 हाँ, किसी शायर की ग़ज़ल जो दे रूह को सुकूँ के पल
 कोई मुझको यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर
 नए मौसम की सहर, या सर्द में दोपहर
 कोई मुझको यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर
 ♪
 जैसे कोई किनारा देता हो सहारा
 मुझे वो मिला किसी मोड़ पर
 कोई रात का तारा करता हो उजाला
 वैसे ही रौशन करे वो शहर
 दर्द मेरे वो भुला ही गया, कुछ ऐसा असर हुआ
 जीना मुझे फिर से वो सिखा रहा
 Hmm, जैसे बारिश कर दे तर, या मरहम दर्द पर
 कोई मुझको यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर
 नए मौसम की सहर, या सर्द में दोपहर
 कोई मुझको यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर
 ♪
 मुस्काता ये चेहरा देता है जो पहरा
 जाने छुपाता क्या दिल का समुंदर
 औरों को तो हर-दम साया देता है
 वो धूप में है खड़ा ख़ुद मगर
 चोट लगी है उसे, फिर क्यूँ महसूस मुझे हो रहा है?
 दिल, तू बता दे क्या है इरादा तेरा?
 Hmm, मैं परिंदा बे-सबर, था उड़ा जो दर-ब-दर
 कोई मुझको यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर
 नए मौसम की सहर, या सर्द में दोपहर
 कोई मुझको यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर
 जैसे बंजारे को घर
 जैसे बंजारे को घर
 जैसे बंजारे को घर
 

Audio Features

Song Details

Duration
05:36
Key
1
Tempo
116 BPM

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