Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi

Lyrics

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
 दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
 जैसे एहसाँ उतारता है कोई
 दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
 ♪
 आईना देखकर तसल्ली हुई
 आईना देखकर तसल्ली हुई
 हमको इस घर में जानता है कोई
 हमको इस घर में जानता है कोई
 हमको इस घर में जानता है कोई
 हमको इस घर में जानता है कोई
 ♪
 पक गया है शहर पे फल शायद
 पक गया है शहर पे फल शायद
 फिर से पत्थर उछालता है कोई
 फिर से पत्थर उछालता है कोई
 जैसे एहसाँ उतारता है कोई
 दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
 ♪
 तुम्हारे ग़म की डली उठाकर
 ज़बाँ पे रख ली है देखो मैंने
 ये क़तरा-क़तरा पिघल रही है
 मैं क़तरा-क़तरा ही जी रहा हूँ
 देर से गूँजते हैं सन्नाटे
 देर से गूँजते हैं सन्नाटे
 जैसे हमको पुकारता है कोई
 जैसे हमको पुकारता है कोई
 जैसे हमको पुकारता है कोई
 दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
 जैसे एहसाँ उतारता है कोई
 

Audio Features

Song Details

Duration
05:19
Key
4
Tempo
170 BPM

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