Raabta (Siyaah Raatein)

Lyrics

फैली थी सियाह रातें, आया तू सुबह लेके
 बेवजह सी ज़िंदगी में जीने की वजह लेके
 खोया था समंदरों में तन्हा सफ़ीना मेरा
 साहिलों पे आया है तू जाने किस तरह लेके
 फैली थी सियाह रातें, आया तू सुबह लेके
 बेवजह सी ज़िंदगी में जीने की वजह लेके
 खोया था समंदरों में तन्हा सफ़ीना मेरा
 साहिलों पे आया है तू जाने किस तरह लेके
 कुछ तो है तुझ से राब्ता
 कुछ तो है तुझ से राब्ता
 कैसे हम जानें? हमें क्या पता
 कुछ तो है तुझ से राब्ता
 अब क्या है कहना? हमको है रहना
 जन्नतें भुला के, तेरी बाँहों में पनाह लेके
 फैली थी सियाह रातें, आया तू सुबह लेके
 बेवजह सी ज़िंदगी में जीने की वजह लेके
 ♪
 मेहरबानी जाते-जाते मुझ पे कर गया
 गुज़रता सा लम्हा एक दामन भर गया
 तेरा नज़ारा मिला, रोशन सितारा मिला
 तक़दीर का जैसे कोई इशारा मिला
 रूठी हुई ख़्वाहिशों ने थोड़ी सी सुलह लेके
 आया तू ख़ामोशियों में बातों की जिरह लेके
 खोया था समंदरों में तन्हा सफ़ीना मेरा
 साहिलों पे आया है तू जाने किस तरह लेके
 फैली थी सियाह रातें, आया तू सुबह लेके
 बेवजह सी ज़िंदगी में जीने की वजह लेके
 खोया था समंदरों में तन्हा सफ़ीना मेरा
 साहिलों पे आया है तू जाने किस तरह लेके
 कुछ तो है तुझ से राब्ता
 कुछ तो है तुझ से राब्ता
 कैसे हम जानें? हमें क्या पता
 कुछ तो है तुझ से राब्ता
 अब क्या है कहना? हमको है रहना
 जन्नतें भुला के, तेरी बाँहों में पनाह लेके
 फैली थी सियाह रातें, आया तू सुबह लेके
 बेवजह सी ज़िंदगी में जीने की वजह लेके
 I feel it inside
 Don't know why, I feel it inside
 

Audio Features

Song Details

Duration
04:47
Key
4
Tempo
111 BPM

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