छुपा भी ना सकेंगे, बता भी ना सकेंगे
हुए हैं यूँ तेरे प्यार में पागल, पिया
जो तेरे ना हुए तो किसी के ना रहेंगे
कि अब ना किसी और से लागे जिया
हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है
एक राँझा और हीर जैसी
ना जाने ये ज़माना क्यूँ चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया
कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया
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ठोकर पे दुनिया है, घरबार है
दिल में जो दिलबर का दरबार है
सजदे में बैठे हैं जितनी दफ़ा
वो मेरी मन्नत में हर बार है
उसी का अब ले रहे हैं नाम हम तो साँसों की जगह
क्यूँ जाने एक दिन भी लागे हम को १२ मासों की तरह
जो अपना है सारा, सजनिया पे वारा
ना थामें रे किसी और का आँचल, पिया
हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है
एक राँझा और हीर जैसी
ना जाने ये ज़माना क्यूँ चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया
कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
मैं गहरा तमस, तू सुनहरा सवेरा
मैं तेरा, ओ, मैं तेरा
मुसाफ़िर मैं भटका, तू मेरा बसेरा
मैं तेरा, ओ, मैं तेरा
तू जुगनू चमकता, मैं जंगल घनेरा, मैं तेरा
ओ, पिया, मैं तेरा, मैं तेरा
मैं तेरा, मैं तेरा, हो, मैं तेरा (मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
(मैं तेरा) मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा (मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)