Ya Rabba (From "Salaam-E-Ishq")

4 views

Lyrics

प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
 टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
 इस प्यार में हों कैसे-कैसे इम्तिहाँ
 ये प्यार लिखे कैसी-कैसी दास्ताँ
 या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
 टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
 ♪
 कैसा है सफ़र वफ़ा की मंज़िल का
 ना है कोई हल दिलों की मुश्किल का
 धड़कन-धड़कन बिखरी रंजिशें
 साँसें-साँसें टूटी बंदिशें
 कहीं तो हर लमहा होंठों पे फ़रियाद है
 किसी की दुनिया चाहत में बर्बाद है
 या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 ♪
 कोई ना सुने सिसकती आहों को
 कोई ना धरे तड़पती बाँहों को
 आधी-आधी पूरी ख़्वाहिशें
 टूटी-फूटी सब फ़रमाइशें
 कहीं शक है, कहीं नफ़रत की दीवार है
 कहीं जीत में भी शामिल पल-पल हार है
 या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
 टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला? हो-हो
 ♪
 ना पूछो दर्द बंदों से
 हँसी कैसी, ख़ुशी कैसी
 मुसीबत सर पे रहती है
 कभी कैसी, कभी कैसी
 हो, रब्बा
 रब्बा
 रब्बा, हो
 हो, रब्बा
 
 प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
 टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
 इस प्यार में हों कैसे-कैसे इम्तिहाँ
 ये प्यार लिखे कैसी-कैसी दास्ताँ
 या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
 टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
 ♪
 कैसा है सफ़र वफ़ा की मंज़िल का
 ना है कोई हल दिलों की मुश्किल का
 धड़कन-धड़कन बिखरी रंजिशें
 साँसें-साँसें टूटी बंदिशें
 कहीं तो हर लमहा होंठों पे फ़रियाद है
 किसी की दुनिया चाहत में बर्बाद है
 या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 ♪
 कोई ना सुने सिसकती आहों को
 कोई ना धरे तड़पती बाँहों को
 आधी-आधी पूरी ख़्वाहिशें
 टूटी-फूटी सब फ़रमाइशें
 कहीं शक है, कहीं नफ़रत की दीवार है
 कहीं जीत में भी शामिल पल-पल हार है
 या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
 दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
 हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
 टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला? हो-हो
 ♪
 ना पूछो दर्द बंदों से
 हँसी कैसी, ख़ुशी कैसी
 मुसीबत सर पे रहती है
 कभी कैसी, कभी कैसी
 हो, रब्बा
 रब्बा
 रब्बा, हो
 हो, रब्बा
 

Audio Features

Song Details

Duration
06:58
Key
2
Tempo
144 BPM

Share

More Songs by Kailash Kher

Albums by Kailash Kher

Similar Songs