शोर है अँधेर में, जो ढेर मुर्दा पेड़ों का
सुलग गया, झुलस गया, लो ज्वाला-ज्वाला आग है
काठ ही के ढेर में वो फेर जीव जन्म का
लो जल गया, धुआँ हुआ, लो स्वाहा-स्वाहा राख है
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
मस्तकों में माया-माया, चट-चटकती, खट-खटकती
भट-भटकती, नाचती, छातियों में त्राहि-त्राहि
धन-धनकती, झन-झनकती एक सुलगती त्रासदी
योजनाएँ यम बनाता, काल दौड़े तमतमाता
अंतरिक्ष सब समय के डमरुओं को डमडमाता
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
सूर्य के जो तूर्य थे, बज रहे धरा पे हैं
हुंड, मुंड, झुंड से ये दब रही धरा
मंथनों को चूसते नीले-नीले होंठ हैं
१००-१०० ज्वार फूँकती हैं सर्प सी भुजा
शोर है अँधेर में, जो ढेर मुर्दा पेड़ों का
सुलग गया, झुलस गया, लो ज्वाला-ज्वाला आग है
काठ के ही ढेर में वो फेर जीव जन्म का
लो जल गया, धुआँ हुआ, लो स्वाहा-स्वाहा राख है
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध
डमरुओं को डमडमाता क्रोध, नाचे क्रुद्ध-क्रुद्ध