Jal Rahin Hain
Lyrics
जल रही है चीता साँसों मैं हैं धुवा फिर भी आस मन में हैं जगी भोर होगी क्या कभी यहाँ पूछती यही ये बेड़ियाँ देख तो कौन है ये ♪ महिष्मति साम्राज्यम सर्वोत्तम प्रचेयम दसो दिशाएं आठेयम सब इसको करते प्रणाम ♪ खुशहाली वैभवशाली समृधियाँ निराली धन्य-धन्य है यहाँ प्रजा शांति का ये स्वर्ग था ♪ घन गरज जो कितके यहाँ दिग दिगंत में है कहाँ शीश तो यहाँ झुका ज़रा यशास्वीनी है ये धरा ♪ महिष्मति की पताका सदा यूँही गगन चूमे अश्व्दो और सूर्यदेव मिलके स्वर्ग सिंघासन विराजे जल रही है चीता साँसों मैं हैं धुवा फिर भी आस मन में हैं जगी भोर होगी क्या कभी यहाँ पूछती यही ये बेड़ियाँ देख तो कौन है ये ♪ महिष्मति साम्राज्यम सर्वोत्तम प्रचेयम दसो दिशाएं आठेयम सब इसको करते प्रणाम ♪ खुशहाली वैभवशाली समृधियाँ निराली धन्य-धन्य है यहाँ प्रजा शांति का ये स्वर्ग था ♪ घन गरज जो कितके यहाँ दिग दिगंत में है कहाँ शीश तो यहाँ झुका ज़रा यशास्वीनी है ये धरा ♪ महिष्मति की पताका सदा यूँही गगन चूमे अश्व्दो और सूर्यदेव मिलके स्वर्ग सिंघासन विराजे
Audio Features
Song Details
- Duration
- 03:20
- Key
- 10
- Tempo
- 153 BPM