Zeher
Lyrics
दिल में खलती रहे एक कमी पुछे तु कहां रुकेगी? मैं कहूं कभी ना तु चले संग यह भी चली संग है आसमान और ये ढंडी हवा क्या ये रुकेगी? मैं रुकु या ना रुकु इन्हे चलना यही पर ऐसी ही और मैं हूं बेसबर मेरे ख़्वाबों के घर जला कर आया हूं हर दर्द हैं बेअसर मैने पीया ज़हर हूं भी या ना अगर, कैसी कैसी डगर कहां से आया हूं हर दर्द हैं बेअसर मैने पीया ज़हर चेहरे पे लगा चेहरा और खुद को तु कहता नया लापता है तु कब से, मिला ना किसी को जहां यह तमाशे, हसीन ज्वाहा यह दिखवाए के सींग है जान महफ़िल में लगा के भी दिल ये रहा तन्हा तु सम्भाल के चले, ये फिसलती रहे क्या ये रुकेगी? यहां डूबे बिना तु रहे तो बता कैसी जिंदगी? मुश्किलों से कहा, खुद से हारा जहां क्या वो सुनेगी? मैं कहूं कभी ना तु चले संग यह भी चली और मैं हूं बेसबर मेरे ख्वाबों के घर जला कर आया हूं हर दर्द हैं बेअसर मैने पीया ज़हर हूं भी या ना अगर, कैसी कैसी डगर कहां से आया हूं हर दर्द हैं बेअसर मैने पीया ज़हर
Audio Features
Song Details
- Duration
- 03:20
- Key
- 4
- Tempo
- 128 BPM